Hindi Stories Wih Morals
लोमड़ी , गधा और शेर
(Hindi Stories Wih Morals)
गधा और लोमडी बहुत जल्दी एक दूसरे के पक्के दोस्त बन गए थे। वे दोनों एक साथ खेलते रहते और साथ ही दोनो भोजन की तलाश में जाते थे। गधे को हरी हरी घास चरना पसंद था । तो लोमड़ी अपने खाने की तलाश में रहती ।दोनों दोस्त साथ में बैठकर अपनी अपनी पसंद का खाना खाते रहते ।
एक दिन गधा और लोमड़ी जंगल में घूमते हुए भोजन की तलाश कर रहे थे। अचानक सामने एक शेर आकर खडा हो गया।गधा तो डर गया और चिल्लाने लगा ।ढेंचू ढेंचू ढेंचू ! शेर मुझे खाने वाला है अरे मुझे डर लग रहा है। लोमड़ी उसकी तरफ देखते हुए बोली चिल्लाना बंद करो मेरे दोस्त ! मै इससे बात करके मामला सुलझाती हूं ।तुम लड़कियों की तरह हरकत बंद करो । इतना कह कर वह शेर के पास गई और मीठे स्वर में धीरे से कुछ कहने लगी।ताकि गधा ना सुन पाए ।
लोमड़ी बोलीराजा साहब मैं जानती हूं कि आपको भूख लगी होगी और आप खाने की तलाश में है। मेरी सलाह है कि आप मेरे दोस्त गधे को यहीं पास के गड्ढे की ओर ले जाएं फिर गधे को धक्का देकर उस में गिरा दे। उसके बाद आप आराम से उसे खा सकते हैं। शेर लोमड़ी का सुझाव सुनकर बहुत प्रसन्न हुआ। उसने उसकी बात मान ली ।
लोमड़ी वापस गधे के पास आई और बोली मेरे दोस्त शेर हम लोगों को छोड़ देने की बात मान गया है। हमें बस इतना करना है कि पास के उस गड्ढे में जाकर बैठ जाना है । शेर का कहना है कि हम वहां सुरक्षित रहेंगें। गधा यह सुनकर बहुत प्रसन्न हुआ। वह लोमड़ी के पीछे पीछे गड्ढे की ओर चल पड़ा । लेकिन जब वे गड्ढे के पास पहुंचे तो लोमड़ी ने गधे को धक्का देकर गड्ढे में गिरा दिया और शेर के पास जाकर कहने लगी - महाराज ! आपका भोजन तैयार है, लेकिन उसके बाद कुछ ऐसा हुआ कि लोमड़ी हैरान रह गई। शेर गधे की ओर जाने के बजाए सीधे लोमड़ी पर ही झपट पड़ा । लोमड़ी को बचने तक का मौका नहीं मिला। इसके बाद शेर ने गधे की सहायता करके उसे गड्डे से बाहर निकाला और बोला तुम जा सकते हो।
शिक्षा :- धूर्त दोस्तों से सदा बच कर रहना चाहिए।
दो बकरियां
(Hindi Stories Wih Morals)
डेज़ी बकरी का मन थोड़ा घूमने फिरने का हुआ ठंडी हवा चल रही थी और घूमने फिरने लायक बहुत अच्छा मौसम भी था । वह कुछ देर चलती रही और एक पहाड़ी किनारे हरी भरी घास चरने के लिए रुक गई । चरते -चरते पहाड़ी के किनारे तक पहुंच गई । डेज़ी वापस जाने ही वाली थी कि उसकी निगाह अपने सामने एक दूसरी पहाड़ी पर पड़ी । वहां बहुत ही अच्छी हरी - भरी घास लगी थी । ऐसे सुंदर घास बकरी ने कभी नहीं देखी थी। डेज़ी को पता था कि उसे दोनों पहाड़ियां को जोड़ने वाले एक लंबे डंडे को पार करना होगा । तभी उसे अपनी मनचाही घास खाने को मिल पाएगी।
आगे बढ़ने के लिए जैसे ही उसने लट्ठे पर पैर रखा उसे सामने से एक ओर बकरी आती दिखाई दी। वह भी उसी लट्ठे पर चलकर आ रही थी। डेजी को बड़ा आश्चर्य हुआ ।उस लट्ठे पर तो बस इतनी ही जगह थी कि कोई एक ही बार में उस पर से होकर गुजर सकता है ।।उसे विश्वास था कि दूसरी बकरी यह बात समझ जाएगी , लेकिन ऐसा नहीं हुआ वह बकरी पीछे नहीं लौटी और सीधा चली आ रही थी।
यह बकरी बहुत बदमाश है वह मुझे पहले नहीं निकलना देना चाहती जबकि लट्ठे की इस पुल पर पहले मैंने पैर रखा था। अरे वह अपने आपको समझती क्या है , मैं भी तो देखती हूं वह मुझसे पहले कैसे निकलती है । डेज़ी ने निश्चय किया और आगे बढ़ती गई । धीरे धीरे चलते हुए अपने को संभाले वह लट्ठे के पुल पर आगे बढ़ती जा रही थी। दूसरी बकरी भी आगे बढ़ती जा रही थी । बहुत जल्द दोनों बकरी पुल पर बिल्कुल बीचों बीच आमने सामने खड़ी थी ।
सुनो बहन ! मैंने पहले पुल पर पैर रखा था। इसलिए तुम वापस लौट जाओ और मुझे पहले पुल पार करने दो। उस ने दूसरी बकरी से कहा । दूसरे बकरी ने जवाब दिया कि तुमने मुझे आते हुए पहले देखा था इसलिए तुम्हे वापस जाना चाहिए था। इतना आगे आने के बाद अब मैं क्यों पीछे क्यों जाऊं। तुम ही पीछे लौट जाओ और मुझे दूसरी और जाने दो दोनों अब बकरी काफी देर तक इसी तरह बहस करती रही और अंत में दोनों पानी में गिर गई।
शिक्षा :- हमें बेकार में किसी से भी झगड़ा नहीं करना चाहिए।
आजाद पंछी
(Hindi Stories Wih Morals)
फ्रांस के एक छोटे से नगर में एक दयालु लड़का जाॅन रहता था । उसे जंगली पक्षियों से बड़ा प्रेम था । वह पक्षियों की बोली पहचान लेता था। एक दिन जब वह कहीं जा रहा था, तो अचानक उसे एक पक्षी की आवाज सुनाई दी। उसे लगा कि पक्षी की आवाज में उदासी है। थोड़ी ही दूर पर उसे एक आदमी मिला जिसने एक पक्षी को पिंजरे में कैद कर रखा था।
जाॅन जानता था कि लोग इस पक्षी का मांस बहुत पसंद करते हैं, इसलिए जो खरीदेगा, वह उसे मारकर ही खायेगा । जाॅन पक्षी बेचने वाले के पास जाकर उसका दाम पूछा । फिर अपनी जेब को टटोला ।फिर उसके पास पूरे पैसे नहीं थे । जॉन ने पक्षी बेचने वाले से कहा - 'लो यह पैसे रखो। इसे मैंने खरीद लिया है, पर मेरे पास पैसे कुछ कम है अभी लेकर आता हूं। तुम इस पक्षी को किसी और को मत देना ।
इतना कहकर मैं दौड़ा- दौड़ा घर गया लेकिन देखता है क्या है कि उसकी मां कहीं गई हुई है। अब क्या होगा? उसे डर था कि यदि देर हो गई तो उस पक्षी को कोई और खरीद कर ले जाएगा । उसके प्राण संकट में पड़ जाएंगे खड़े-खड़े जॉन को अपने गुरु का ध्यान आया। तपती दोपहरी में वह दौड़ता हुआ गुरु के पास पहुंचा ।एक ही सांस में उसने पूरी बात गुरुजी को कह सुनाई ।
गुरु बड़े रहमदिल थे । उन्होंने तुरंत ही पैसे दे दिए ।वह एक क्षण नहीं रूका । दौड़कर उस जगह पहुंचा तो देखा , कि एक व्यक्ति उसका मोल तोल कर रहा है ।जॉन ने वहां पहुंचकर उसके पैसे चुका दिए और पिंजरे को लेकर घर चला आया। घर पहुंचते ही गर्मी से उसका सिर चकराने लगा। जब थोड़ा ठीक हुआ तो उसने सबसे पहले पिंजरे की ओर देखा और जाकर पक्षी को पुचकारा । पक्षी ने भी जवाब में पुलकित होकर पंख फड़फड़ाए और बड़े मधुर स्वर में अपने प्राण दाता का आभार माना । फिर जाॅन ने पिंजरे को उठाया और घर के बाहर किसी निर्जन स्थान पर उसे ले गया। वहां जाॅन ने पक्षी को आजाद कर दिया। पक्षी ने एक बार पुनः प्यार से उसकी ओर देखा।
शिक्षा - हमें मुसीबत में पड़े जानवरों की मदद अवश्य करनी चाहिए ।
प्यारे पेड़
(Hindi Stories Wih Morals)
एक दिन जंगल का राजा शेर भोजन करके आराम कर रहा था । अचानक उसे जानवरों की कुछ आवाजें सुनाई दी । उसने आंखें खोलकर देखा तो सामने हाथी , गिलहरी , हिरन , उल्लू , बंदर और खरगोश आदि खड़े थे । शेर जोर से दहाड़ा - "क्या बात है ? तुम लोग ने मेरी नींद क्यों खराब कर दी ? "
हाथी ने परेशान होकर कहा- " महाराज! कुछ लकड़हारे जंगल में लकड़ियां काटने की बात कर रहे थे । वे जल्दी ही लकड़ियां काटने आएंगे । "
गिलहरी बोली - "यदि पेड़ कट गए तो क्या होगा ?" चिड़िया बोली - "मैं अपना घोंसला कहां बनाऊंगी ?"
यह सुनकर सभी जानवर चिंतित हो गए।
मीकू बंदर ने कहा- " महाराज पहले से ही इतने सारे पेड़ कट जाने के कारण जंगल खाली हो गया है । यदि ओर पेड़ कट जाएंगे तो हम कहां रहेंगे ।"
शेर बोला - " यह तो चिंता की बात है। आप लोग परेशान ना हो मैं कुछ सोचता हूं ।"
खरगोश ने कहा," मेरे महाराज मेरे पास एक उपाय है । सभी जानवर हैरान होकर बोले - "क्या ?"
खरगोश बोला - "महाराज ! यदि हम पेड़ों पर फल और फूल आदि टांग दे दो लकड़हारे समझ जाएंगे कि पेड़ हमारे लिए घर ही नहीं बल्कि वे उपयोगी चीजें भी देते हैं । "
सभी जानवरों को यह सुझाव बहुत अच्छा लगा। शेर ने भी अपनी सहमति दे दी बस ,फिर क्या था । सभी जानवरों ने मिलकर पेड़ पर फल और फूल आदि टांग दिए । अगले दिन जब लकड़हारे कुल्हाड़ी लेकर पेड़ काटने आए तो उन्होंने देखा कि पेड़ों पर सुंदर सुंदर फूल और फल टंगे हुए हैं।
मधुमक्खियों का छत्ता लटका हुआ है ।पेड़ों की डालियों पर चिड़िया चहचहा रही है । कुछ जानवर पेड़ों की छाया में आराम कर रहे हैं । लकड़हारे समझ गए कि शायद जानवर हमसे कुछ कहना चाह रहे हैं । यह देखकर वे बहुत शर्मिंदा हुए । एक लकड़हारे ने सबसे कहा -" आज से हम कभी पेड़ नहीं काटेंगे। पेड़ हमारे लिए बहुत उपयोगी होते हैं ।वे हमें भोजन, दवाइयां और छाया आदि भी देते हैं । यह सुनकर सभी वहां से चले गए।
शिक्षा - हमें पेड़ नहीं काटने चाहिए ।
(Hindi Stories Wih Morals)
गधा और लोमडी बहुत जल्दी एक दूसरे के पक्के दोस्त बन गए थे। वे दोनों एक साथ खेलते रहते और साथ ही दोनो भोजन की तलाश में जाते थे। गधे को हरी हरी घास चरना पसंद था । तो लोमड़ी अपने खाने की तलाश में रहती ।दोनों दोस्त साथ में बैठकर अपनी अपनी पसंद का खाना खाते रहते ।
एक दिन गधा और लोमड़ी जंगल में घूमते हुए भोजन की तलाश कर रहे थे। अचानक सामने एक शेर आकर खडा हो गया।गधा तो डर गया और चिल्लाने लगा ।ढेंचू ढेंचू ढेंचू ! शेर मुझे खाने वाला है अरे मुझे डर लग रहा है। लोमड़ी उसकी तरफ देखते हुए बोली चिल्लाना बंद करो मेरे दोस्त ! मै इससे बात करके मामला सुलझाती हूं ।तुम लड़कियों की तरह हरकत बंद करो । इतना कह कर वह शेर के पास गई और मीठे स्वर में धीरे से कुछ कहने लगी।ताकि गधा ना सुन पाए ।
लोमड़ी बोलीराजा साहब मैं जानती हूं कि आपको भूख लगी होगी और आप खाने की तलाश में है। मेरी सलाह है कि आप मेरे दोस्त गधे को यहीं पास के गड्ढे की ओर ले जाएं फिर गधे को धक्का देकर उस में गिरा दे। उसके बाद आप आराम से उसे खा सकते हैं। शेर लोमड़ी का सुझाव सुनकर बहुत प्रसन्न हुआ। उसने उसकी बात मान ली ।
लोमड़ी वापस गधे के पास आई और बोली मेरे दोस्त शेर हम लोगों को छोड़ देने की बात मान गया है। हमें बस इतना करना है कि पास के उस गड्ढे में जाकर बैठ जाना है । शेर का कहना है कि हम वहां सुरक्षित रहेंगें। गधा यह सुनकर बहुत प्रसन्न हुआ। वह लोमड़ी के पीछे पीछे गड्ढे की ओर चल पड़ा । लेकिन जब वे गड्ढे के पास पहुंचे तो लोमड़ी ने गधे को धक्का देकर गड्ढे में गिरा दिया और शेर के पास जाकर कहने लगी - महाराज ! आपका भोजन तैयार है, लेकिन उसके बाद कुछ ऐसा हुआ कि लोमड़ी हैरान रह गई। शेर गधे की ओर जाने के बजाए सीधे लोमड़ी पर ही झपट पड़ा । लोमड़ी को बचने तक का मौका नहीं मिला। इसके बाद शेर ने गधे की सहायता करके उसे गड्डे से बाहर निकाला और बोला तुम जा सकते हो।
शिक्षा :- धूर्त दोस्तों से सदा बच कर रहना चाहिए।
दो बकरियां
(Hindi Stories Wih Morals)
डेज़ी बकरी का मन थोड़ा घूमने फिरने का हुआ ठंडी हवा चल रही थी और घूमने फिरने लायक बहुत अच्छा मौसम भी था । वह कुछ देर चलती रही और एक पहाड़ी किनारे हरी भरी घास चरने के लिए रुक गई । चरते -चरते पहाड़ी के किनारे तक पहुंच गई । डेज़ी वापस जाने ही वाली थी कि उसकी निगाह अपने सामने एक दूसरी पहाड़ी पर पड़ी । वहां बहुत ही अच्छी हरी - भरी घास लगी थी । ऐसे सुंदर घास बकरी ने कभी नहीं देखी थी। डेज़ी को पता था कि उसे दोनों पहाड़ियां को जोड़ने वाले एक लंबे डंडे को पार करना होगा । तभी उसे अपनी मनचाही घास खाने को मिल पाएगी।
आगे बढ़ने के लिए जैसे ही उसने लट्ठे पर पैर रखा उसे सामने से एक ओर बकरी आती दिखाई दी। वह भी उसी लट्ठे पर चलकर आ रही थी। डेजी को बड़ा आश्चर्य हुआ ।उस लट्ठे पर तो बस इतनी ही जगह थी कि कोई एक ही बार में उस पर से होकर गुजर सकता है ।।उसे विश्वास था कि दूसरी बकरी यह बात समझ जाएगी , लेकिन ऐसा नहीं हुआ वह बकरी पीछे नहीं लौटी और सीधा चली आ रही थी।
यह बकरी बहुत बदमाश है वह मुझे पहले नहीं निकलना देना चाहती जबकि लट्ठे की इस पुल पर पहले मैंने पैर रखा था। अरे वह अपने आपको समझती क्या है , मैं भी तो देखती हूं वह मुझसे पहले कैसे निकलती है । डेज़ी ने निश्चय किया और आगे बढ़ती गई । धीरे धीरे चलते हुए अपने को संभाले वह लट्ठे के पुल पर आगे बढ़ती जा रही थी। दूसरी बकरी भी आगे बढ़ती जा रही थी । बहुत जल्द दोनों बकरी पुल पर बिल्कुल बीचों बीच आमने सामने खड़ी थी ।
सुनो बहन ! मैंने पहले पुल पर पैर रखा था। इसलिए तुम वापस लौट जाओ और मुझे पहले पुल पार करने दो। उस ने दूसरी बकरी से कहा । दूसरे बकरी ने जवाब दिया कि तुमने मुझे आते हुए पहले देखा था इसलिए तुम्हे वापस जाना चाहिए था। इतना आगे आने के बाद अब मैं क्यों पीछे क्यों जाऊं। तुम ही पीछे लौट जाओ और मुझे दूसरी और जाने दो दोनों अब बकरी काफी देर तक इसी तरह बहस करती रही और अंत में दोनों पानी में गिर गई।
शिक्षा :- हमें बेकार में किसी से भी झगड़ा नहीं करना चाहिए।
आजाद पंछी
(Hindi Stories Wih Morals)
फ्रांस के एक छोटे से नगर में एक दयालु लड़का जाॅन रहता था । उसे जंगली पक्षियों से बड़ा प्रेम था । वह पक्षियों की बोली पहचान लेता था। एक दिन जब वह कहीं जा रहा था, तो अचानक उसे एक पक्षी की आवाज सुनाई दी। उसे लगा कि पक्षी की आवाज में उदासी है। थोड़ी ही दूर पर उसे एक आदमी मिला जिसने एक पक्षी को पिंजरे में कैद कर रखा था।
जाॅन जानता था कि लोग इस पक्षी का मांस बहुत पसंद करते हैं, इसलिए जो खरीदेगा, वह उसे मारकर ही खायेगा । जाॅन पक्षी बेचने वाले के पास जाकर उसका दाम पूछा । फिर अपनी जेब को टटोला ।फिर उसके पास पूरे पैसे नहीं थे । जॉन ने पक्षी बेचने वाले से कहा - 'लो यह पैसे रखो। इसे मैंने खरीद लिया है, पर मेरे पास पैसे कुछ कम है अभी लेकर आता हूं। तुम इस पक्षी को किसी और को मत देना ।
इतना कहकर मैं दौड़ा- दौड़ा घर गया लेकिन देखता है क्या है कि उसकी मां कहीं गई हुई है। अब क्या होगा? उसे डर था कि यदि देर हो गई तो उस पक्षी को कोई और खरीद कर ले जाएगा । उसके प्राण संकट में पड़ जाएंगे खड़े-खड़े जॉन को अपने गुरु का ध्यान आया। तपती दोपहरी में वह दौड़ता हुआ गुरु के पास पहुंचा ।एक ही सांस में उसने पूरी बात गुरुजी को कह सुनाई ।
गुरु बड़े रहमदिल थे । उन्होंने तुरंत ही पैसे दे दिए ।वह एक क्षण नहीं रूका । दौड़कर उस जगह पहुंचा तो देखा , कि एक व्यक्ति उसका मोल तोल कर रहा है ।जॉन ने वहां पहुंचकर उसके पैसे चुका दिए और पिंजरे को लेकर घर चला आया। घर पहुंचते ही गर्मी से उसका सिर चकराने लगा। जब थोड़ा ठीक हुआ तो उसने सबसे पहले पिंजरे की ओर देखा और जाकर पक्षी को पुचकारा । पक्षी ने भी जवाब में पुलकित होकर पंख फड़फड़ाए और बड़े मधुर स्वर में अपने प्राण दाता का आभार माना । फिर जाॅन ने पिंजरे को उठाया और घर के बाहर किसी निर्जन स्थान पर उसे ले गया। वहां जाॅन ने पक्षी को आजाद कर दिया। पक्षी ने एक बार पुनः प्यार से उसकी ओर देखा।
शिक्षा - हमें मुसीबत में पड़े जानवरों की मदद अवश्य करनी चाहिए ।
प्यारे पेड़
(Hindi Stories Wih Morals)
एक दिन जंगल का राजा शेर भोजन करके आराम कर रहा था । अचानक उसे जानवरों की कुछ आवाजें सुनाई दी । उसने आंखें खोलकर देखा तो सामने हाथी , गिलहरी , हिरन , उल्लू , बंदर और खरगोश आदि खड़े थे । शेर जोर से दहाड़ा - "क्या बात है ? तुम लोग ने मेरी नींद क्यों खराब कर दी ? "
हाथी ने परेशान होकर कहा- " महाराज! कुछ लकड़हारे जंगल में लकड़ियां काटने की बात कर रहे थे । वे जल्दी ही लकड़ियां काटने आएंगे । "
गिलहरी बोली - "यदि पेड़ कट गए तो क्या होगा ?" चिड़िया बोली - "मैं अपना घोंसला कहां बनाऊंगी ?"
यह सुनकर सभी जानवर चिंतित हो गए।
मीकू बंदर ने कहा- " महाराज पहले से ही इतने सारे पेड़ कट जाने के कारण जंगल खाली हो गया है । यदि ओर पेड़ कट जाएंगे तो हम कहां रहेंगे ।"
शेर बोला - " यह तो चिंता की बात है। आप लोग परेशान ना हो मैं कुछ सोचता हूं ।"
खरगोश ने कहा," मेरे महाराज मेरे पास एक उपाय है । सभी जानवर हैरान होकर बोले - "क्या ?"
खरगोश बोला - "महाराज ! यदि हम पेड़ों पर फल और फूल आदि टांग दे दो लकड़हारे समझ जाएंगे कि पेड़ हमारे लिए घर ही नहीं बल्कि वे उपयोगी चीजें भी देते हैं । "
सभी जानवरों को यह सुझाव बहुत अच्छा लगा। शेर ने भी अपनी सहमति दे दी बस ,फिर क्या था । सभी जानवरों ने मिलकर पेड़ पर फल और फूल आदि टांग दिए । अगले दिन जब लकड़हारे कुल्हाड़ी लेकर पेड़ काटने आए तो उन्होंने देखा कि पेड़ों पर सुंदर सुंदर फूल और फल टंगे हुए हैं।
मधुमक्खियों का छत्ता लटका हुआ है ।पेड़ों की डालियों पर चिड़िया चहचहा रही है । कुछ जानवर पेड़ों की छाया में आराम कर रहे हैं । लकड़हारे समझ गए कि शायद जानवर हमसे कुछ कहना चाह रहे हैं । यह देखकर वे बहुत शर्मिंदा हुए । एक लकड़हारे ने सबसे कहा -" आज से हम कभी पेड़ नहीं काटेंगे। पेड़ हमारे लिए बहुत उपयोगी होते हैं ।वे हमें भोजन, दवाइयां और छाया आदि भी देते हैं । यह सुनकर सभी वहां से चले गए।
शिक्षा - हमें पेड़ नहीं काटने चाहिए ।
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