संज्ञा और उसके भेद

                                          संज्ञा

आइए हम अपने चारों ओर के वातावरण को देखते हैं।
हमारे चारों ओर जो भी वस्तु हमें दिखाई देती है उसका कोई न कोई नाम अवश्य होता है। इन्हीं नामो को ही संज्ञा कहा जाता है।

संज्ञा :-  जो शब्द किसी वस्तु , व्यक्ति , प्राणी , स्थान और भाव आदि का बोध कराते हैं ,वे संज्ञा कहलाते हैं। जैसे:-हम किसी बाग में जाते हैं और वहां पर चारों ओर गुलाब , गेंदा और चमेली के फूल खिले हैं। वहां आदमी , औरतें और बच्चे इधर उधर बैठे हैं। बच्चे प्रसन्नता से खेल रहे हैं। गौरव और अंजू झूला झूल रहे हैं।

 ऊपर लिखित वाक्यों में निम्नलिखित नाम आए हैं। जैसे:- बाग , गुलाब , गेंदा , चमेली , आदमी , औरत , बच्चे , प्रसन्नता , गौरव और अंजू।
* प्रसन्नता मन का भाव है।

                                 संज्ञा के भेद

मुख्यत संज्ञा के तीन रूप होते हैं।
संज्ञा के भेद
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व्यक्तिवाचक संज्ञा               जातिवाचकसंज्ञा                   भाववाचकसंज्ञा                                                    

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           व्यक्तिवाचक संज्ञा :-  वह शब्द जो किसी एक व्यक्ति , वस्तु ,स्थान ,गुण , भाव आदि का बोध करवाता है उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे :- रमन , लीला , पुस्तक , आगरा आदि।

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       समूहवाचक           द्रव्यवाचक
           संज्ञा                      संज्ञा
जातिवाचक संज्ञा :- वह शब्द जो किसी एक जाति का बोध कराते हैं उसे जातिवाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे :- कक्षा , सेना , भीड़, सोना ,चांदी , आदि।
जातिवाचक संज्ञा के दो भेद हैं :-  समूहवाचक और द्रव्यवाचक
समूहवाचक :- वह शब्द जो किसी समूह के बारे बताते हैं उन्हें समूहवाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे :- कक्षा , सेना , दल  आदि ।
द्रव्यवाचक :- वह शब्द जो किसी धातु या तरल पदार्थ के बारे में बताते हैं उन्हें द्रव्यवाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे :- सोना , चांदी  आदि।
भाववाचक संज्ञा :- वह शब्द जो किसी भाव के बारे में बताते हैं उन्हें भाववाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे :- बचपन , मिठास , बुढ़ापा आदि ।


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