गुरु पूर्णिमा का महत्व
गुरु पूर्णिमा :- आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि को गुरु पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। गुरु पूर्णिमा महाकाव्य महाभारत के रचयिता कृष्ण द्वैपायन व्यास जी के जन्म दिवस के रूप में मनाई जाती है।वेद व्यास संस्कृत भाषा के महान् ज्ञाता थे। सभी 18 पुराणों का रचियता भी महर्षि वेदव्यास जी को माना जाता है। वेदो को विभाजित करने का श्रेय भी वेद व्यास को जाता है। इसलिए वेदव्यास जी के जन्म दिवस को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।
गुरु पूर्णिमा की धार्मिक मान्यता :- धार्मिक मान्यता के अनुसार गुरु पूर्णिमा पर गुरु की पूजा आराधना की जाती है। देश में गुरु पूर्णिमा का बहुत ही महत्त्व है। गुरु पूर्णिमा को लोग बड़े उत्साह और जोश के साथ मनाते हैं। भारत ऋषियों और मनीषियों का देश है जहां पर इनकी उतनी ही पूजा होती है जितनी भगवान की। महर्षि वेदव्यास प्रथम विद्वान थे जिन्होंने सनातन धर्म के चारों वेदों की व्याख्या की थी।
सिख धर्म :- सिख धर्म में भी गुरु का स्थान अत्यधिक महत्वपूर्ण बताया गया है। सिख धर्म केवल एक ईश्वर को मानता है और अपने दस गुरुओं की वाणी को ही जीवन का वास्तविक स्वरूप और सत्य मानता आ रहा है।
सनातन धर्म :- सनातन धर्म परम्परा में गुरु का नाम ईश्वर से पहले आता है क्योंकि गुरु ही ईश्वर से मिलने का जरिया बनता है।
गुरु धारण करना :- यदि आप गुरु बनाना चाहते हैं तो गुरु पूर्णिमा का समय सबसे उत्तम माना जाता है। यदि आप इस गुरु पूर्णिमा किसी को अपना गुरु बनाने की सोच रहे हैं तो उचित प्रकार से सोच विचार कर लें क्योंकि जीवन में गुरु सिर्फ एक बार बनाया जाता है उसे बार - बार नहीं बदला जाता।
गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं

गुरु पूर्णिमा की धार्मिक मान्यता :- धार्मिक मान्यता के अनुसार गुरु पूर्णिमा पर गुरु की पूजा आराधना की जाती है। देश में गुरु पूर्णिमा का बहुत ही महत्त्व है। गुरु पूर्णिमा को लोग बड़े उत्साह और जोश के साथ मनाते हैं। भारत ऋषियों और मनीषियों का देश है जहां पर इनकी उतनी ही पूजा होती है जितनी भगवान की। महर्षि वेदव्यास प्रथम विद्वान थे जिन्होंने सनातन धर्म के चारों वेदों की व्याख्या की थी।
सिख धर्म :- सिख धर्म में भी गुरु का स्थान अत्यधिक महत्वपूर्ण बताया गया है। सिख धर्म केवल एक ईश्वर को मानता है और अपने दस गुरुओं की वाणी को ही जीवन का वास्तविक स्वरूप और सत्य मानता आ रहा है।
सनातन धर्म :- सनातन धर्म परम्परा में गुरु का नाम ईश्वर से पहले आता है क्योंकि गुरु ही ईश्वर से मिलने का जरिया बनता है।
गुरु गोविंद दोउ खड़े काके लागू पाय
बलिहारी गुरु आपनो जिन गोविंद लियो बताए।
गुरु ही है जो ईश्वर से साक्षात्कार करवाता है, उसके मायने बतलाता है। जीवन में जिस तरह से नदी को पार करने हेतु नाविक पर , गाड़ी में सफ़र करते समय ड्राइवर पर , इलाज कराते समय डॉक्टर पर विश्वास करना पड़ता है बिल्कुल उसी तरह जीवन रूपी नैया को पार करने हेतु सदगुरु की आवश्यकता होती है और सदगुरु मिल जाने के बाद अपने उन पर आजीवन विश्वास करना होता है , ऐसा इसलिए होता है क्योंकि गुरु का क्रोध भी शिष्य को सही राह दिखाने का काम करती हैगुरु धारण करना :- यदि आप गुरु बनाना चाहते हैं तो गुरु पूर्णिमा का समय सबसे उत्तम माना जाता है। यदि आप इस गुरु पूर्णिमा किसी को अपना गुरु बनाने की सोच रहे हैं तो उचित प्रकार से सोच विचार कर लें क्योंकि जीवन में गुरु सिर्फ एक बार बनाया जाता है उसे बार - बार नहीं बदला जाता।
गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं
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